अमेरिका ने चीन से आयातित उत्पादों पर 145% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। यह कदम अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध को और गहरा कर सकता है। इस टैरिफ में पहले से लागू 125% शुल्क के साथ हाल ही में जोड़े गए 20% शुल्क शामिल हैं। यह वृद्धि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन की नीतियों और जवाबी कार्रवाइयों के खिलाफ उठाया गया एक बड़ा कदम है।
टैरिफ वृद्धि का कारण और प्रभाव
इस टैरिफ वृद्धि का मुख्य उद्देश्य चीन पर दबाव बनाना और अमेरिकी उद्योगों को बढ़ावा देना है। अमेरिका का आरोप है कि चीन ने व्यापार समझौतों का उल्लंघन किया है और अमेरिकी बाजार में अनुचित लाभ उठाया है। इसके अलावा, फेंटेनाइल संकट में चीन की भूमिका को भी इस निर्णय का आधार बताया गया है।
हालांकि, इस कदम से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। चीन, जो इलेक्ट्रॉनिक्स, खिलौनों और कंप्यूटर जैसे उत्पादों का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है, इन उच्च शुल्कों के कारण अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा करने में कठिनाई महसूस कर सकता है।
व्यापारियों और उपभोक्ताओं पर प्रभाव
इस टैरिफ वृद्धि से अमेरिकी आयातकों को भारी वित्तीय नुकसान हो सकता है। कई छोटे व्यवसाय और खुदरा विक्रेता, जो चीनी सामानों पर निर्भर हैं, इन बढ़े हुए शुल्कों के कारण अपनी लागत को संतुलित करने में संघर्ष कर सकते हैं। इसके अलावा, उपभोक्ताओं को भी इन उत्पादों की कीमतों में वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है।
चीन की प्रतिक्रिया
चीन ने इस कदम की कड़ी आलोचना करते हुए “आखिरी दम तक लड़ने” की बात कही है। चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर 125% तक टैरिफ बढ़ा दिए हैं, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है।
वैश्विक व्यापार पर असर
यह टैरिफ वृद्धि केवल अमेरिका और चीन तक सीमित नहीं रहेगी; इसका असर वैश्विक व्यापार पर भी पड़ेगा। अन्य देश भी अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार कर सकते हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में अस्थिरता बढ़ सकती है।