उत्तराखंड सरकार ने राज्य में नए सर्किल रेट (Circle Rate) लागू करने की तैयारी पूरी कर ली है, जिससे जमीनों के दाम में औसतन 20 से 26 प्रतिशत तक की वृद्धि होने की संभावना है। खासकर देहरादून, नैनीताल, मसूरी और हरिद्वार जैसे तेजी से विकसित हो रहे शहरों में यह बढ़ोतरी और भी अधिक हो सकती है। इस बदलाव से प्रॉपर्टी की कीमतें महंगी हो जाएंगी और रजिस्ट्री व स्टांप ड्यूटी में भी इजाफा होगा।
नए सर्किल रेट का प्रभाव और कारण
सर्किल रेट वह न्यूनतम मूल्य होता है जिस पर संपत्ति का रजिस्ट्रेशन होता है। उत्तराखंड सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में हुए औद्योगिक, पर्यटन और बुनियादी ढांचे के विकास को ध्यान में रखते हुए नए सर्किल रेट तय किए हैं। जैसे कि नैनीताल की मॉल रोड में प्रति वर्ग मीटर जमीन का रेट अब 1 लाख रुपये तक पहुंच गया है, जबकि मसूरी में यह 28 हजार और देहरादून में 55 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर तक है।
इस वृद्धि के पीछे मुख्य कारण हैं:
- नए हाईवे, रेलवे प्रोजेक्ट और टनल निर्माण से जुड़े विकास कार्य
- औद्योगिक और पर्यटन क्षेत्र में तेजी से बढ़ती मांग
- शहरी क्षेत्रों में नए टाउनशिप और आवासीय परियोजनाओं का विकास
जमीन के दामों में 26% तक की बढ़ोतरी
वित्त विभाग ने नए सर्किल रेट में औसतन 20-26% की बढ़ोतरी का प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी मिलने की उम्मीद है। देहरादून के कई इलाकों में तो यह बढ़ोतरी 100% से भी अधिक हो सकती है, खासकर आईटी पार्क और प्रमुख आवासीय क्षेत्रों के आसपास। इससे जमीन की कीमतें महंगी हो जाएंगी और संपत्ति खरीदने वालों पर इसका सीधा असर पड़ेगा।
सर्किल रेट बढ़ने से क्या बदलाव होंगे?
- स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस में वृद्धि: क्योंकि ये शुल्क सर्किल रेट के आधार पर लगते हैं, इसलिए नए रेट लागू होने के बाद खरीदारों को अधिक भुगतान करना होगा।
- प्रॉपर्टी की कीमतें महंगी: बाजार में जमीन की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे निवेश और खरीदारी की लागत बढ़ेगी।
- बाजार में पारदर्शिता: सही मूल्यांकन से अंडरवैल्यूएशन की समस्या कम होगी, जिससे सरकारी राजस्व में वृद्धि होगी।
- ऋण प्रक्रिया पर प्रभाव: बैंक और वित्तीय संस्थान सर्किल रेट के आधार पर लोन राशि निर्धारित करते हैं, इसलिए लोन की सीमा और ब्याज दरों में भी बदलाव संभव है।
निष्कर्ष
उत्तराखंड में नए सर्किल रेट लागू होने से जमीनों की कीमतों में लगभग 26% तक की बढ़ोतरी हो सकती है, जो संपत्ति बाजार को महंगा बनाएगी। यह कदम सरकार की ओर से संपत्ति बाजार में पारदर्शिता लाने और राजस्व बढ़ाने का प्रयास है, लेकिन इससे आम खरीदारों और निवेशकों पर वित्तीय दबाव भी बढ़ेगा। इसलिए संपत्ति खरीदने वालों को नए रेट के अनुसार अपनी योजना बनानी होगी।