शहीद दिवस का महत्व
शहीद दिवस, जिसे ‘मार्टियर्स डे’ भी कहा जाता है, हर वर्ष 23 मार्च को मनाया जाता है। यह दिन उन तीन युवा क्रांतिकारियों—भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव—की याद में समर्पित है, जिन्हें 1931 में ब्रिटिश सरकार द्वारा फांसी दी गई थी। इनकी शहादत ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक नई जान फूंक दी थी और आज भी ये युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
कार्यक्रम का विवरण
इस कार्यक्रम का आयोजन “शिव धरा फाउंडेशन” द्वारा राजपुर रोड स्थित एक होटल में किया गया था। “एक शाम देश के भगत के नाम” कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा कि शहीदों ने अपने जीवन की परवाह किए बिना माँ भारती को स्वतंत्रता दिलाने के लिए संघर्ष किया। उन्होंने यह भी बताया कि आज हम उनकी कुर्बानियों के कारण ही स्वतंत्रता और सम्मान के साथ जी रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि भगत सिंह का मानना था कि सच्ची स्वतंत्रता तभी संभव है जब सभी वर्गों और जातियों को समान अधिकार प्राप्त हों। इसी भावना को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता लागू की है, जिससे सभी नागरिकों के कानूनी अधिकार समान हो गए हैं।
कार्यक्रम की विशेषताएँ
इस वर्ष शहीद दिवस पर कई कार्यक्रम आयोजित किए गए:
- श्रद्धांजलि समारोह: विभिन्न स्थानों पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
- शिक्षण कार्यक्रम: स्कूलों और कॉलेजों में इन क्रांतिकारियों के जीवन और कार्यों पर चर्चा की गई।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम: नाटकों और प्रस्तुतियों के माध्यम से उनके विचारों को जीवंत किया गया।
- सोशल मीडिया अभियान: #ShaheedDiwas जैसे हैशटैग के माध्यम से युवाओं में जागरूकता फैलाने का प्रयास किया गया।
शहीदों की विरासत
भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव के विचार आज भी हमारे समाज में प्रासंगिक हैं। उनके आदर्शों पर चलते हुए नई पीढ़ी को सामाजिक न्याय, समानता और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करना चाहिए।
निष्कर्ष
शहीद दिवस केवल एक स्मृति नहीं है, बल्कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इन महान आत्माओं के बलिदान को याद करें और उनके विचारों को अपने जीवन में उतारें। इस दिन हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने देश की सेवा में कभी पीछे नहीं हटेंगे।
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