उत्तराखंड सरकार ने राज्य के मेडिकल कॉलेजों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए आधा दर्जन विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति का निर्णय लिया है। यह कदम राज्य में डॉक्टरों की कमी को दूर करने और ग्रामीण व पहाड़ी क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी और समाधान
उत्तराखंड लंबे समय से विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा है। राज्य में 1,254 स्वीकृत पदों में से केवल 515 विशेषज्ञ और सुपर-स्पेशलिस्ट डॉक्टर कार्यरत हैं। इस कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने ‘यू कोट वी पे’ जैसी योजनाओं को लागू किया है, जिसमें डॉक्टरों को आकर्षक वेतन और सुविधाएं दी जा रही हैं।
नई नियुक्तियों का प्रभाव
आधा दर्जन नए विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति से राज्य के मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा। खासतौर पर, यह पहल उन क्षेत्रों में अधिक प्रभावी होगी जहां डॉक्टरों की अनुपलब्धता के कारण मरीजों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
सरकार की अन्य पहल
- 50% अतिरिक्त भत्ता: दुर्गम क्षेत्रों में कार्यरत डॉक्टरों को प्रोत्साहित करने के लिए।
- सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाना: विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष तक बढ़ाई गई।
- मेडिकल छात्रों के लिए सेवा बांड: पोस्टग्रेजुएट छात्रों के लिए दो साल का सेवा बांड अनिवार्य किया गया है।
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की दिशा
सरकार ने हेल्थ वेलनेस सेंटर और टेलीमेडिसिन जैसी योजनाओं को भी प्राथमिकता दी है। इसके साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने पर ध्यान दिया जा रहा है ताकि हर नागरिक को समय पर चिकित्सा सुविधा मिल सके।
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