“चारधाम यात्रा 2025: पंजीकरण में भारी उत्साह, केदारनाथ और हेमकुंड साहिब में बढ़ी श्रद्धालुओं की संख्या”

उत्तराखंड में चारधाम यात्रा और हेमकुंड साहिब के लिए श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बन रहा है। चारधाम यात्रा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण शुरू होने के चार दिन के भीतर ही 6,07,368 श्रद्धालुओं ने पंजीकरण कराया है। इस वर्ष सबसे अधिक पंजीकरण केदारनाथ धाम के लिए हुए हैं, जहाँ 1,95,709 श्रद्धालुओं ने रजिस्ट्रेशन कराया है। इसके बाद बद्रीनाथ धाम के लिए 1,82,377 और गंगोत्री तथा यमुनोत्री धाम के लिए क्रमशः 1,12,933 और 1,09,824 श्रद्धालुओं ने पंजीकरण किया है। हेमकुंड साहिब के लिए भी 6,525 श्रद्धालुओं ने अपनी यात्रा की योजना बनाई है।

चारधाम यात्रा का महत्व

चारधाम यात्रा भारतीय संस्कृति और धार्मिकता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह यात्रा चार प्रमुख तीर्थ स्थलों – यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ – को जोड़ती है। हर साल लाखों श्रद्धालु इन स्थलों पर दर्शन करने आते हैं। इस वर्ष यात्रा की शुरुआत 30 अप्रैल से होगी, जब गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलेंगे।

ऑनलाइन पंजीकरण की प्रक्रिया

चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया बेहद सरल है। श्रद्धालु उत्तराखंड पर्यटन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर अपना पंजीकरण कर सकते हैं। इसके अलावा, मोबाइल ऐप के माध्यम से भी रजिस्ट्रेशन संभव है। पंजीकरण के लिए आधार नंबर अनिवार्य है और एक आईडी से अधिकतम छह लोगों का रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है।

official registration website :  https://registrationandtouristcare.uk.gov.in/

पिछले वर्षों की तुलना

पिछले वर्ष 2024 में लगभग 48 लाख श्रद्धालुओं ने चारधाम और हेमकुंड साहिब के दर्शन किए थे। इस वर्ष रजिस्ट्रेशन की गति को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि यह संख्या पार हो जाएगी। पहले चार दिनों में ही इतनी बड़ी संख्या में रजिस्ट्रेशन से यह स्पष्ट होता है कि श्रद्धालुओं में यात्रा को लेकर गजब का उत्साह है।

हेमकुंड साहिब की यात्रा

हेमकुंड साहिब की यात्रा भी इस वर्ष महत्वपूर्ण मानी जा रही है। हालांकि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या अपेक्षाकृत कम होती है क्योंकि यह स्थान कठिन परिस्थितियों में स्थित है। फिर भी, हेमकुंड साहिब की धार्मिक महत्ता इसे विशेष बनाती है।

निष्कर्ष

चारधाम यात्रा और हेमकुंड साहिब के लिए रजिस्ट्रेशन का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। यह दर्शाता है कि लोग धार्मिक स्थलों की ओर लौटने को तैयार हैं और इस बार यात्रा का अनुभव पहले से भी अधिक भव्य होने की संभावना है।

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