“उत्तराखंड हाईकोर्ट का आदेश: नदी, नालों और गधेरों से अतिक्रमण हटाने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं”

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने देहरादून में नदी, नालों और गधेरों से अतिक्रमण हटाने का सख्त निर्देश दिया है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जल धाराओं और जल स्रोतों की सुरक्षा बेहद आवश्यक है। इसके साथ ही, कोर्ट ने इन क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की भी मांग की है ताकि अतिक्रमण पर नजर रखी जा सके। यह आदेश उन जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान जारी किया गया, जिनमें नदियों के पर्यावरण संरक्षण और जल स्रोतों की सुरक्षा पर जोर दिया गया था।

अतिक्रमण हटाने की आवश्यकता

हाईकोर्ट ने शासन के उच्च अधिकारियों को तलब करते हुए कहा कि नदी और नालों से अतिक्रमण हटाना अनिवार्य है। न्यायालय ने इस बात पर चिंता जताई कि अतिक्रमण से नदियों का प्राकृतिक प्रवाह बाधित हो रहा है, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक है।

सीसीटीवी कैमरों का महत्व

सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश देने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में कोई भी व्यक्ति जल स्रोतों पर अतिक्रमण करने की हिम्मत न करे। यह निगरानी प्रणाली न केवल अतिक्रमण को रोकने में मदद करेगी, बल्कि स्थानीय प्रशासन को भी सख्त कार्रवाई करने में सक्षम बनाएगी।

सरकारी कार्रवाई की आवश्यकता

हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह इस मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करे जिसमें अतिक्रमण हटाने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण हो। इसके अलावा, न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि कोई व्यक्ति अतिक्रमण करता पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।

निष्कर्ष

यह आदेश उत्तराखंड के पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। हाईकोर्ट का यह निर्देश न केवल जल स्रोतों की रक्षा करेगा, बल्कि स्थानीय निवासियों के जीवनस्तर को भी बेहतर बनाएगा।

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